---: एपीआरआई, टोंक में ’’अंतर्राष्ट्रीय म्यूजियम डे’’ का आयोजन :--- आजादी के अमृत महोत्सव की श्रृंखला में दिनांक...
Posted by Maapri Tonk on Friday, May 20, 2022
---: एपीआरआई, टोंक में बुद्ध पूर्णिमा पर संगोष्ठी का आयोजन :--- आजादी के अमृत महोत्सव की श्रृंखला में बुद्ध पूर्णिमा के...
Posted by Maapri Tonk on Wednesday, May 18, 2022
---: हस्तलिखित ग्रन्थों के परिरक्षण एंव संरक्षण पर प्रिजर्वेशन एंव कन्जर्वेशन का इन्टरशिप प्रोग्राम :--- आजादी के अमृत...
Posted by Maapri Tonk on Monday, May 16, 2022
---: एपीआरआई, टोंक में दिनांक 11.05.2022 को हस्तलिखित ग्रन्थों के प्रिजर्वेशन एंव कन्जर्वेशन का इन्टरशिप प्रोग्राम...
Posted by Maapri Tonk on Monday, May 16, 2022
-- हस्तलिखित ग्रन्थों के परिरक्षण एंव संरक्षण पर सेमिनार का आयोजन -- आजादी के अमृत महोत्सव की श्रृंखला में दिनांक...
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बुराइयों से बचने की ताकत मिलती है रोज़े से ---- टोंक 28 अप्रैल 2022
आजादी के अमृत महोत्सव की श्रृंखला में गांधी ग्लोबल फैमिली राजस्थान यूनिट एवं मौलाना आजाद अरबी फारसी शोध संस्थान के संयुक्त तत्वाधान में बुधवार को रोजा इफ्तार का कार्यक्रम आयोजित किया गया कार्यक्रम में सर्वधर्म समभाव और गंगा जमुनी तहजीब की झलक देखने को मिली l रोजा इफ्तार के बाद मगरिब की नमाज अदा की गई जिसमें अमन चैन, मुल्क की बेह्बुदियत सलामती के साथ दुनिया में शांति सदभाव कायम रहे,देश में भाईचारे की दुआएं मांगी गयी l
सच्चाई पर चलने की सीख और बुराइयों से बचने की ताकत मिलती है रोज़े से यह बात कहते हुए संस्थापक निदेशक साहिबजादा शौकत अली खान ने कहा कि हजरत सल्लल्लाहो अलेही वसल्लम ने फरमाया हक़ ताला यानी अल्लाह रब्बुल् इज्जत का इरशाद है; कि रोजा खास मेरे लिए है, और उसका बदला मैं खुद दूंगा. आप आप रोजे की अहमियत को खुद ही समझ लीजिए कि इसका बदला खुद अल्लाह देगा; अब इससे ज़्यादा और क्या चाहिए एक सच्चे मोमिन को.
जिला कलेक्ट्रेट के तहसीलदार प्रहलाद सिंह ने कहा कि टोंक के लोग और यहाँ की सभ्यता संस्कृति में गंगा जमुनी तहजीब बसी हुई है यहां पर मिलजुल कर हम त्यौहार मनाते हैं एक दूसरे के सम्मान में जीवन जीते हैं, रोजा इफ्तार में सभी समाजों के लोगों का शामिल होना यहां की गंगा जमुनी तहजीब को दर्शाता है, जो आपके सामने नज़र आ रही है l
गांधी ग्लोबल फैमिली के प्रदेश संयोजक मुजीब आजाद ने कहा कि रोज़ा का मतलब होता है, रुक जा यानी हर किस्म के गुनाह से फिर वह गुनाह चाहे आंखों का हो, नाक का हो, मुंह का हो, हाथ का हो या पैर का हो, हर गुनाह से बचना रोज़ा कहलाता है. उन्होंने कहा कि बुराइयों से बचने की ताकत रोजे से मिलती है एक महीने के प्रशिक्षण से पुख्ता ईमान और बुराइयों से परहेज की आदत इंसान में आती है इस्लाम का दर्शन बताता है कि रोजे से ट्रेनिंग लेकर अपने जीवन को संयम पूर्ण बनाओ और बुराइयों से बचते हुए अपने जीवन को अच्छाइयों के साथ बिताओ, जीवन ऐसा जियो जो दुनिया के कल्याण के लिए हो l
रोजा इफ्तार कार्यक्रम में मौलाना आजाद अरबी फारसी शोध संस्थान के निदेशक साहिबजादा सौलत अली खान ने रोजे की फजीलत पर बयान करते हुए अपने आप से हर बुराई को मिटाने का अहद लेने का आह्वान किया, मुल्कों और तमाम आलम में दुआएं खेर की बात कही l
इस मौके पर अजीम प्रेमजी फाउंडेशन के देवेंद्र जोशी, प्रसिद्ध कवि प्रदीप पंवार, बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष एडवोकेट महावीर तोगड़ा, प्रोफेसर पीसी जैन ने मुख्य रूप से अपने विचार व्यक्त किये, कार्यक्रम का सफल संचालन अंतर्राष्ट्रीय शायर जिया टोंकी ने किया l इस अवसर पर प्रमुख रूप से शिक्षाविद खालिद एहतेशाम, कांग्रेस के शब्बीर नागौरी, मोहम्मद अहसान बाबा, अशोक सक्सेना, जाने-माने क्रिकेट खिलाड़ी अमजद हबीब, समाजसेवी कामिल खान, मोहम्मद जलील देशवाली,अल्ताफ हुसैन, मुमताज खान, कैप्टन मीर शेर खान, हनुमान सिंह खेरेडा, राजेश शर्मा सहित शहर के गणमान्य नागरिक जन ने रोजा इफ्तार में शिरकत की l इस अवसर पर गांधी ग्लोबल फैमिली के राष्ट्रीय अध्यक्ष पूर्व केंद्रीय मंत्री गुलाम नबी आजाद के संदेश को प्रदेश संयोजक मुजीब आज़ाद ने रोज़दारो को सुनाया l
रोज़ा अफ्तार में अनेक वक्ताओं ने कहा कि जब कोई शख्स रोजा रखता है, तो उसको यह फिक्र होती है, कि मुझे यह गलत काम नहीं करना है; नहीं तो अल्लाह नाराज हो जाएगा – तो इसे ही हम परहेजगारी कहते हैं, जो हमें जिंदगी में काफी फायदा पहुंचाती है.रमजान का मतलब है एक तरफ तो रोज़ा इंसान के बदन को जलाता है और दूसरी तरफ उसके तमाम पिछले गुनाहों को जलाकर राख कर देता है और जब रमज़ान की आखिरी रात आती है तो वो इंसान गुनाहों से ऐसे पाक हो जाता है। जैसे आज ही मा के पेट से पैदा हुआ हो, रमजान के बाद भी पूरे साल रमजान की तरह ही संयम के साथ जीने की बात करते हुए रोजा इफ्तार के कार्यक्रम का समापन हुआ l
आजादी के अमृत महोत्सव की श्रृंखला में दिनांक 22.04.2022 को ’’पृथ्वी दिवस’’ विषय पर विस्तार भाषण का आयोजन किया गया। इस समारोह के मुख्य अतिथि श्री प्रीतम सिंह खत्री तथा अध्यक्षता श्री जमील अहमद ने की। ’’पृथ्वी दिवस’’ पर दिये गये विस्तार भाषण पर संस्थान के निदेशक डॉ0 सौलत अली खान ने कहा कि अल्लाह ताला ने कुरआन शरीफ में फरमाया है कि ए इन्सानो मैंने तुम्हारे लिए ये जमीन बिछाई है इसके संतुलन के लिए पहाड़ो को मेख़ो (कील) की तरह गाड दिया है और दरिया, समुन्द्र से भर दिया है ताकि इंसान एक जगह से दूसरी जगह कश्तियों के सहारे आ जा सके और मैने जमीन में से तुम्हारे लिए अनाज, मेवाजात और दूसरी बहुत सी चीजो को पैदा किया ताकि तुम इन नियामतों से फायदा उठा सको। मैंने तुम्हारे लिए जमीन को हरा भरा किया ताकि तुम लोग आराम पा सको।
लेकिन आज इंसान प्रकृति के विपरीत कार्य कर रहा है। जमीन के संतुलन को बिगाड़ रहा है। जमीन मोहब्बत और आराम से रहने की जगह बनाई थी। इंसानो ने अलग-अलग प्रयोग करके, परमाणु बम डाल के असंतुलित कर रहे है। यही कारण है कि कही बाढ़े, तूफान भूकम्प आदि प्राकृति आपदाये आ रही है और मनुष्य पृथ्वी के संतुलन को असंतुलित कर रहा है इसलिए हमें खुदा के पैगाम को आम करना चाहिए और जमीन में वृक्ष लगाकर हरा भरा करना चाहिए। जिससे जमीन में संतुलन बना रहे।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि श्री प्रीतम सिंह खत्री ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि प्रत्येक व्यक्ति को एक पौधा लगाना चाहिए जिससे पृथ्वी का संतुलन बना रहे।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे श्री जमील अहमद ने भी अधिक से अधिक पेड़ लगाने पर बल दिया।
आजादी के अमृत महोत्सव की श्रृंखला में संस्थान में दिनांक 31.03.2022 को रात्रि 09.00 बजे ’’एक शाम राजस्थान के नाम’’ पर शाम-ए-गज़ल कार्यक्रम आयोजित किया गया। इसमें गजल गायक जियाउर्रहमान (जिया टोंकी), निजामुद्दीन शाद, प्रदीप पंवार, साहिबजादा ताहिर अली खान, आसिफ अली, गुलजार अली खान, सईद आलम तथा मुश्ताक आलम ने अपने कलाम प्रस्तुत किये। इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि जिला एंव सैशन न्यायाधीश, टोंक श्री अजय शर्मा तथा अध्यक्षता संस्थापक निदेशक एपीआरआई, टोंक साहिबजादा शौकत अली खान ने की। इस कार्यक्रम का संचालन जियाउर्रहमान (जिया टोंकी) ने किया।
आज़ादी के अमृत महोत्सव की श्रृंखला में मौलाना अबुल कलाम आज़ाद अरबी फारसी शोध संस्थान, टोंक में निदेशक के पद पर कार्यरत डॉ0 सौलत अली खान द्वारा दिनांक 31.03.2022 को राजस्थान दिवस के अवसर पर ’राजस्थान का एकीकरण’ विषय पर एक विस्तार भाषण दिया गया। जिसमें श्री खान ने राजस्थान के एकीकरण में आने वाली रूकावटों और उनके समाधान के बारे में बेहद विस्तार से जानकारी दी। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता श्री प्रीतम सिंह खत्री ने की तथा कार्यक्रम में श्री फ़रीद अहमद खान, श्री सत्यनारायण सैन, श्री मोहम्मद आरिफ खान, श्री मोहम्मद इस्हाक, श्रीमति फरीदा खातून तथा समस्त स्टाफ के सदस्य व छात्र/छात्राऐं सम्मिलित हुए।
आजादी के अमृत महोत्सव की श्रृंखला में एपीआरआई में ’’मुजाहिदे आज़ादी मौलाना आज़ाद और उनकी मोहतम बिश्शान खिद़मात’’ पर तीन दिवसीय अखिल भारतीय सेमिनार का समापन समारोह
टोंक। 24 मार्च, 2022 को मौलाना अबुल कलाम आजाद अरबी फारसी शोध संस्थान, राजस्थान, टोंक में आजादी के अमृत महोत्सव की श्रृंखला में तीन दिवसीय अखिल भारतीय सेमिनार का समापन समारोह आयोजित किया गया। इस समारोह के मुख्य अतिथि जस्टिस गोपाल कृष्ण व्यास, अध्यक्ष, राजस्थान राज्य मानव अधिकार आयोग, अध्यक्षता मोहतरम रतन लाल गोदारा, वाईस चांसलर, वर्धमान महावीर खुला विश्वविधालय, कोटा, विशिष्ट अतिथि मुजीब अता आज़ाद, उपाध्यक्ष, हिन्दी यूनिवर्स फाउण्डेशन, नीदरलैण्डस, संस्थापक निदेशक एपीआरआई, टोंक साहिबज़ादा शोकत अली खान, मोइमुन कादरी, हैदराबाद ने की । सर्वप्रथम मुख्य अतिथि ने संस्थान की आर्ट गैलेरी, डिस्पले हॉल का विजिट किया। संस्थान में संधारित विश्व की सबसे बड़ी कुरआन, हस्तलिखित ग्रन्थों को देखकर अत्यंत अभिभूत हो गए। समारोह का प्रारम्भ तिलावते क़ुरआने पाक मुफ्ती इस्लाहुद्दीन खिज़र नदवी, एवं नआत शरीफ मोहम्मद आबिद अली खान ’आकिल’ ने पढी। संस्थान के निदेशक डॉ0 सौलत अली खान ने अरबी, फारसी, उर्दू व इतिहास में दिये गये अवार्ड के बारे विस्तार से बताया। डॉ0 सौलत अली खान ने मंचासीन अतिथियों का माल्यापर्ण, दस्तारबन्दी, शाल व कैलीग्राफी पैनल भेंट कर सम्मानित किया।
संस्थान के निदेशक डॉ0 सौलत अली खान ने इस शेर से अपने भाषण की शुरूआत की
’’सहने चमन को अपनी बहारो पे नाज़ था, वो आए तो सारी बहारों में छा गए।
आपके आने से इज्ज़त बढ़ गई, आपके आने का बहुत शुक्रिया।’’
संस्थान में चल रही गतिविधियों के बारे में विस्तार से बताया। श्री सौलत अली खांन ने स्वागत भाषण में सेमिनार में होने वाले कार्यक्रमों का विस्तार से प्रकाश डाला और कहा कि मौलाना अबुल कलाम आजाद ने सैकड़ो किताबे लिखी है और कई लेखकों ने मौलाना आजाद के कारनामो पर किताबे लिखी है। निदेशक ने कहा कि ’’मुजाहिदे आज़ादी मौलाना आज़ाद आलिम-ए-दीन और इल्मी, सियासी शख़्स ही नहीं थे बल्कि वो अदीब, मुफक्किर, मुदब्बिर भी थे, अदीब, सहाफी के साथ साथ मुजाहिदे आज़ादी भी थे’’। उन्होंने ने आज़ादी का बिगुल पूरे हिन्दुस्तान में अपने अखबार अल हिलाल से बजाया। उन्होने शेर पेश किया
न्यायमूर्ति गोपाल कृष्ण व्यास ने कहा कि भारत में डॉ0, इंजीनियर, कलेक्टर बनते है इसके पीछे सोच किसकी थी जो भारतीय प्रशासन को चलाने वाले अधिकारी बनते है यह सोच उस शख्सियत की थी जिसका नाम पर तीन दिवसीय सेमिनार टोंक में आयोजित किया गया। उन्होने मौलाना आजाद के व्यक्तित्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि भारत रत्न स्वतंत्रता सेनानी मौलाना आजाद देश के निर्माताओं में अग्रिम पंक्ति के व्यक्तित्व है। उन्होने अपने व्यक्तिगत जीवन का खुलासा करते हुए बताया कि न्याय प्रक्रिया के दौरान जब पुलिस अधिकारी जज की हैसियत से मेरे सामने आरोप पत्र पेश करते है तो उसमें अरबी, फारसी के अलफाज अत्यधिक होते है जिसको देखकर समझा जा सकता है कि भारत की न्याय प्रणाली में अरबी फारसी का समावेश किस स्तर का है। उन्होने बताया कि जब उन्हे हाई कोर्ट जज बनाया गया तो उस नियुक्ति वारंट पर ए0पी0जे0 अब्दुल कलाम के हस्ताक्षर थे। यह भारत की शान है कि गोपाल कृष्ण को जज ए0पी0जे0 अब्दुल कलाम के हस्ताक्षर से बनाते है। समारोह के मुख्य अतिथि जस्टिस गोपाल कृष्ण व्यास ने कहा कि मैं इस इदारे को देखकर अभिभूत हो गया हूं। जहां हिन्दुस्तान चमकता है, हिन्दुस्तान की संस्कृति का दस्तावेज यहां मौजूद है। उन्होंने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में मौलाना आजाद का बहुत बड़ा योगदान है। मौलाना आजाद द्वारा किये गये कार्यो की सराहना की तथा उनको जीवन में उतारने के लिए कहा। मैं अपने आप को बहुत भाग्यशाली मानता हूं कि इस संस्थान को देखने का मौका मिला।
प्रोफेसर रतन लाल गोदारा ने कहा कि अपने अध्यक्षीय भाषण में टोंक की सर जमीन को नमन करते हुए कहा कि आप जो स्वागत सत्कार करते है तो उसके बदले में मैं आपना दिल भेंट करता हूं। उन्होने मौलाना आजाद के बारे में कहा कि मौलाना आजाद ने डिबेटींग सोसाइटी बनाई। इससे बोलने में आत्मविश्वास आता है। जीवन में फाइटर बनने के लिए आत्मविश्वास जरूरी है। मेरे मानना है कि कलाम ने आजादी में फाइटर बनाये, आजादी के बाद ऐसे शैक्षिणक संस्थान बनाये जहां से देश का निर्माण हो।
समारोह के विशिष्ट अतिथ मुजीब आजाद ने अपने सम्बोधन में कहा कि मौलाना आजाद मुस्लिम नेता नहीं राष्ट्रवादी नेता थे । उन्होने सभी धर्मा का प्रतिनिधत्व किया। भारतीय शिक्षा नीति में मौलाना आजाद का योगदान अग्रणीय है। संस्कृत के श्लोक व अरबी की आयते बोलते हुए उनके शाब्दिक अर्थ समझा कर वसुदेव कुटुम्बकम को दार्शनिक अंदाज में समझाया।
निदेशक ने अंत में इदारे की तरक्की के लिए मुख्यमंत्री, विभाग के मंत्री डॉ0 बी0डी0 कल्ला तथा विभाग की प्रमुख शासन सचिव गायत्री ए0 राठौड़ का शुक्रिया अदा किया। समारोह का संचालन मौलाना जमील अहमद ने किया।
Art-fastival-News - Rajasthan-Patrika 01-11-2021
Art-fastival-News - Rajasthan-Patrika 31-10-2021
Art-fastival-News - Rajasthan-Patrika 30-10-2021
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Art-fastival-News - 30-10-2021
Art-fastival-News - Rajasthan-Patrika 29-10-2021
Posted by Maapri Tonk on Tuesday, October 26, 2021
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ए पी आर आई में महात्मा गांधी की जयंती पर 15 दिवसीय प्रदर्शनी का आयोजन
Posted by APRI-Tonk on Monday, November 9, 2020
भारत रत्न स्व0 राजीव गांधी को समर्पित चतुर्थ ऑल इण्डिया कैलीग्राफी आर्ट फेस्टिवल 2020 नुमाईश एंव वर्कशाप का आयोजन...
Posted by APRI-Tonk on Sunday, August 30, 2020
कला एवं संस्कृति विभाग, राजस्थान सरकार मौलाना अबुल कलाम आज़ाद अरबी फ़ारसी शोध संस्थान, ...
Posted by APRI-Tonk on Tuesday, August 25, 2020
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एपीआरआई, टोंक में तीन दिवसीय अखिल भारतीय सेमिनार का समापन
टोंक-13 फरवरी, 2020 अरबी फारसी शोध संस्थान, टोंक, राजस्थान में ’’दो सौ साला जश्ने रियासत टोंक‘‘ विषय पर तीन दिवसीय अखिल भारतीय सेमिनार आज समापन हो गया। समारोह का आरम्भ तिलाअवते कुरआन से श्री इस्लाहुद्दीन खिज़र व संस्कृत में नआत शरीफ जनाब अक्षय बोहरा ने किया। सेमिनार के समापन समारोह के मुख्य अतिथि गांधी वादी विचारक श्री राम मोहन राय जी, महासचिव, गांधी ग्लोबल फेमिली अध्यक्षता राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 150 वीं जन्म उत्सव समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री मुजीब अता आज़ाद एंव विशिष्ट अतिथि श्री आहमद अली, निदेशक, मौलाना आज़ाद ओरिएन्टल रिसर्च इन्सटीटयूट, हैदराबाद तिलंगाना) ने की। मंचासीन अतिथियों का निदेशक डॉ0 सौलत अली खान ने गुलपोशी, साफाबन्दी, शाल व उनके नाम का तुगरे देकर सम्मानित किया गया। डॉ0 सौलत अली खां ने अपने उद्बोधन में कहा कि मैं कला एंव संस्कृति विभाग का ममनून व मशकूर हूं जिसके तआव्वुन से अरबी, फारसी, उर्दू एंव इतिहास के अवार्ड दिये गये उनका विस्तार से वर्णन किया। निदेशक महोदय ने यह भी कहा कि जो लोग कला, संस्कृति को बड़ावा दे रहे है उनकी भूरी भूरी प्रशंसा की और शुक्रिया अदा किया। हमने यह कोशिश की है स्कॉलर्स के साथ-साथ स्टूडेन्ट भी सेमीनार में ज्यादा से ज्यादा हिस्सा लें। निदेशक महोदय ने सभी कर्मचारियों एवं अन्य का शुक्रिया अदा किया। श्री अहमद अली साहब ने कहा कि संस्थान में संधारित हस्तलिखित ग्रन्थों की सुरक्षा पर विशेष ध्यान दिये जाने की जरूरत है। आहमद अली साहब ने संस्थान में जो गांधी जी के जीवन पर प्रदर्शनी प्रदर्शित की गई है इसे संस्थान को दान स्वरूप भेंट करदी गई है।
इसके साथ साथ यह भी कहा गया कि समस्त शिक्षण संस्थाएं एंव जनता को इसे दिखाने का कार्य करें ताकि गांधी के जीवन से लाभान्वित हो सकें। मोहम्मद आबिद आकिल साहब ने इस्तक़बालिया व इखतेतामिया नज्म पढी। संस्थापक निदेशक साहिबजादा शोकत अली खान ने अपना बहतरीन मक़ाला नवाब अमीर खान व रियासत टोंक के नाम से पढा। इज़राईल से पधारे हुए स्कालर श्री येल बेरी ने कहा कि टोंक बहुत अच्छा है और इससे मुझे प्यार है। श्री हनुमान प्रसाद बोहरा ने कहा कि एपीआरआई सभी धर्मो की खुश्बु को फेलाता है। श्री बोहरा ने चार मिसरे पढे :-
यहां पर ईल्मो अदब के सेमीनार होते है।
यहां पर आलिमों के हमेशा सत्कार होते है।
सभी धर्मो के जज़्बातों के इज़हार होते है।
सारे जहां से अच्छा हिन्दोस्तां कहकर।
यहां पर गांधी जी के सपने भी साकार होते है।
मुख्यअतिथि श्री राम मोहन राय देश की एकता पर ने कहा कि टोंक की मेहमाननवाजी व इल्म परवरी बहुत मशहूर है और यह भी कहा कि यह संस्थान अन्य भाषाओं के लिए भी शौध का केन्द्र है। टोंक गंगा जमनी की बेमिसाल पहचान है। मुजीब अता ने कहा कि इस संस्थान में जितने स्कालर है वोह मोती है। गांधी ने मोहब्बत का पैग़ाम दिया है और देश वासियों को गांधी जी के बताये हुए रास्ते पर चलना चाहिए। निदेशक डॉ0 सौलत अली खां ने सभी कर्मचारियों को सेमिनार के सफल आयोजन की सराहना की और सभी मेहमानों का शुक्रिया अदा किया। इससे पूर्व नो शौध पत्रों का पत्रवाचन हुआ जिसकी अध्यक्षता संस्थापक निदेशक, साहिबजादा शोकत अली खान एंव श्री याकूब अली खान, पूर्व पी0आर0ओ0 ने की।
एपीआरआई, टोंक में तीन दिवसीय अखिल भारतीय सेमिनार में महत्वपूर्ण पत्रवाचन
टोंक- 12 फरवरी, 2020 मौलाना अबुल कलाम आजाद अरबी फारसी शोध संस्थान में अखिल भारतीय सेमिनार के प्रथम एंव द्वितीय सत्र में ’’दो सौ साला जश्ने रियासत टोंक‘‘‘‘ विषय पर राजस्थान के अलावा अन्य राज्य से आये विद्वानों ने अपने शोध पत्र प्रस्तुत किये। प्रथम एंव द्वितीय सत्र की अध्यक्षता साहिबज़ादा शौकत अली खान, अहमद अली खान, हैदराबाद, तिलंगाना एंव प्रोफ़ेसर अज़ीज़उददीन हुसैन, जामिआ मिल्लिया इस्लामिया, देहली एंव डॉ0. सरवतुन्निसां, उदयपुर ने की। सर्व प्रथम डॉ0 नासेरा बसरी, जयपुर ने ’’फ़न्ने तारीख़गोई पर रोशनी टोंक के हवाले से’’ विषय पर, प्रोफ़ेसर एस0एम0 अज़ीज़ुददीन हुसैन, जामिआ मिल्यि इसलामिया, दिल्ली ने ’’हिस्टोरिकल मैन्युस्क्रिप्ट ऐवेलेबल इन एपीआरआई ए स्टेडी’’ विषय पर, मुख़्तार टोंकी ने ’’सक़ूत रियासत टोंक’’ विषय पर, सकीना साहिबा, कनोरिया कालेज, जयपुर ने ’’ए क्रोविंग क्रिश्चयन हिस्ट्री आफ़ टोंक’’ विषय पर, डॉ0 मोहम्मद राशिद ने ’’रियासत टोंक के अव्वलीन सेहरा निगार शोरा’’ विषय पर, मोहम्मद सरफ़राज़ ने ’’रियासत टोंक की मख़सुस शाअरात’’ विषय पर सरवत अली खान ने ’’रियासत टोंक और खेलों का ज़ररीं दौर’’ विषय पर, नितिन गोयल, बीकानेर ने ’’पेट्रोनेज एण्ड पुलिस आफ इब्राहीम अली खान टू वर्डस ऐजुकेशन आफ़ टोंक स्टेट’’ विषय पर प्रोफेसर शरीफ़ हुसैन कासमी ने ’’टोंक की ईल्मी व रूहानी रवायत के गुल सरसब्द’’ पर अनवारून्निसां ने ‘‘टोंक रियासत का तारीख़ी जायज़ा‘‘ एम0डी0 आबिद हुसैन, फारसी विभाग, पटना युनिवर्सिटी, पटना न ‘‘मुफ़ती वली हसन टोंकी की शख्सियत‘‘ डॉ0 सरवत खान, उदयुपर ने ‘‘सम्बल हाउस के दो शोरा का ग़ैर मतबुआ कलाम और उसका तजज़िया‘‘ मोहम्मद आदिल खान नदवी ने ‘‘तारीख ईरफ़ानी पर एक मुख़तसर नज़र‘‘ लुबना आक़िल ने ‘‘रियाज़े शौकत‘ इज़राईल से आये हुए येल ने ‘‘नवाब अमीर खान और पठानों की तारीख़‘‘ में शोध पत्र प्रस्तुत किये। तृतीय एंव चतुर्थ सत्र की अध्यक्षता मोलाना मोहम्मद उमर खान नदवी, सलाहुददीन कमर एंव मुख्तार टोंकी ने की। सभी शोध पत्रों पर श्री अहमद अली, पूर्व क्यूरेटर, सालारजंग म्यूजियम, हैदराबाद (तेलंगाना) एंव साहिबजादा शौकत अली खां, संस्थापक निदेशक एपीआरआई ने सभी मकालों पर तबसरा प्रस्तुत किया।
एमएएपीआरआई में ’’दो सौ साला जश्ने रियासत टोंक’’ पर मुशायरे का आयोजन
दिनांक 11-02-2020 को संस्थान में ’’दो सौ साला जश्ने रियासत टोंक’’ पर मुशायरे का आयोजन किया गया। मुशायरे के मुख्य अतिथि प्रोफ़ेसर शरीफ़ हुसैन क़ासमी, देहली तथा अध्यक्षता साहिबज़ादा शौकत अली ख़ान, टोंक रहे। मुशायरे का प्रारम्भ नाते पाक से जनाब अबरार साहब ने किया।
इज़्ज़त सैफ़ी ने इस तरह कहा-
इस सर ज़मीने टोंक की दुनिया में शान है।
हे क़सरे ईल्म टोंक की अज़मत का एक निशान।।
सुरूर ख़ालिदी ने यूं कहा-
हे ईल्म के इस क़सर पर ही नाज़ हमारा।
यह तो हे हमें अपने दिलो जान से प्यारा।।
माहफ़ुज़ है इसमें सभी क़ोमों की विरासत।
हैं जितने भी मज़हब यह सभी का हे इदारा ।।।
अबरार साहिब ने इस तरह कहा-
हमें भी उसने बुलाया था अपनी माहफ़िल में।
ख़ुशी ख़ुशी गये आये तो अश्कबार आये।।
नदीम सेफ़ी ने यूं पढा-
वोह अंधेरों पे हुकुमत का हुनर रखता है।
मैने देखा हे चराग़ों को बुझाने वाला।।
ज़िया टोंकी ने इस तरह शेर पढे-
आप ही ख़ातमे-नबुव्वत हैं।
दुसरा रब को फिर जचां ही नहीं।।
होश मे मुंह न फेरना आक़ा।
इससे बड़कर कोई सज़ा ही नहीं।।
प्रदीप पंवार ने यूं कहा-
तू वही करता हे जो तू चाहता है होगा वही जो वह चाहता है।
तू वोह कर जो वह चाहता है फिर वही होगा जो तू चाहता है।।
शाहज़ेब सैफ़ी ने इस तरह कहा-
आज दुनिया में मज़दूर की रोटी मंहगी है।
ख़ुने इन्सां को मगर उससे भी सस्ता देखूं।।
बरकत साइबी ने यूं पढा-
सोए हुए जज़बों में हरारत भी अता कर।
परचम हो हमारा वो शुजाअत भी अता कर।।
फ़रीद साहब ने यू पढा-
नादार हो गया मे अपने ही घर में यारों।
वो छीन ले गये सब जो कुछ कभी था मेरा।।
अनवर ऐजाज़ी ने यूं पढा-
नाम अमीरूददौला था वो साहिबे किरदार था।
हर फ़िरंगी के लिए एक फ़र्दे शौलाबार था।।
ऐजाज़ साहब ने यूं पढा-
दुनियां को उख़वत का सबक़ तू ने दिया है।
तू ईल्म का और दीन का गहवारा रहा है।।
डाक्टर शोऐब साहब ने यूं पढा-
हिन्द की तारीख में पोशिदा तेरी अज़मतें।
और जबीने-वक़्त पर मरक़ूम तेरी शोहरतें।।
इत्तेहादे क़ौम पर रखी गई तेरी बिना ।
ताने बाने मे तेरे है गंगा जमनी निसबतें ।।
आबिद आक़िल साहिब ने यूं पढा-
ये टोंक टोंक में ये एमएएएपीआरआई।
के ज़ेरे-गुलशने-इख़्लास पर बहार आई।।
जनाबे शौकत व सौलत ने सेमीनार रखा ।
के दो सौ साल में फिर लोटकर बहार आई।
साहिबज़ादा ईमदाद अली ख़ान ‘शमीम‘ साहिब ने यूं पढा-
मग़रूर थे हम जिस पर वो ज़िन्दगी फ़ानी थी।
जब बन्द हुई आंखें उस वक़्त खुली आंखे।।
शेरी नशस्त में निदेशक साहिबजादा सौलत अली खान ने सभी शायरों की भूरी-भूरी प्रशंसा की और कहा कि इस मखसूस शेरी नशस्त को कामयाब बताया। संस्थान के निदेशक ने टोंक की गंगा जमनी तहज़ीब को बरक़रार रखने के लिए शेरी नशस्तों को होना अति आवश्यक बताया और सभी शायरों का शुक्रिया अदा किया। नशस्त का संचालन मोहम्मद आबिद अली ख़ान ‘‘आक़िल‘‘ ने खुबसुरत अंदाज़ में किया।
टोंक। 11 फरवरी, 2020 मौलाना अबुल कलाम आजाद अरबी फारसी शोध संस्थान, राजस्थान, टोंक में तीन दिवसीय अखिल भारतीय सेमिनार का उद्घाटन समारोह के मुख्य अतिथि मोहतरम भगवान सहाय शर्मा, पूर्व संयुक्त शासन सचिव, कला साहित्य, संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग, जयपुर तथा अध्यक्षता मोहतरम शरीफ़ हुसैन क़ासमी, प्रोफ़ेसर, देहली विश्वविद्यालय, देहली ने की। सेमिनार का विषय ’’दो सौ साला जश्ने रियासत टोंक‘‘ है। इस सेमीनार में विभिन्न राज्यों के लगभग 30 स्कालर्स अपने शौध पत्र प्रस्तुत करेंगे। समारोह का प्रारम्भ तिलावते क़ुरआनेपाक मुफ्ती इस्लाहुद्दीन खिजर नदवी एवं श्री हनुमान प्रसाद बोहरा के पुत्र ने संस्कृत में नात शरीफ़ पढकर किया। संस्थान के निदेशक श्री डॉ0 सौलत अली खान ने मंचासीन अतिथियों का माल्यापर्ण, दस्तारबन्दी, शाल व कैलीग्राफी पैनल भेंट कर सम्मानित किया। श्री सौलत अली खांन ने फारसी अश्आर से मेहमानों का स्वागत किया एंव संस्थान द्वारा कराये गये कार्यो पर प्रकाश डाला व राज्य सरकार का शुक्रिया अदा किया। श्री मुहम्मद आबिद अली खान आक़िल ने आगन्तुको के सम्मान में इस्तिक़बालिया नज़्म प्रस्तुत की। संस्थान द्वारा उत्कृष्ट कार्य करने पर चार विद्वानो को सम्मानित किया गया। इतिहास विषय में मोहतरम एस0 एम0 अजीजुददीन हुसैन, दिल्ली, उर्दू भाषा में मोहतरम सैय्यद फजलूल मतीन चिश्ती, अजमेर, फारसी भाषा में मोहतरम सलाहुददीन क़मर, टोंक तथा अरबी भाषा में मोहतरम मौलवी साहिबज़ादा सईद अहमद खान, टोंक की गुलपोशी, दस्तारबन्दी, उपाधि, शाल, मोमेन्टों व उनके नाम का तुगरा एंव 10000/- राशि मंचासीन अतिथियों द्वारा प्रदान कर सम्मानित किया गया। संस्थान की प्रकाशित पुस्तक रिसर्च जरनल भाग-34 का विमोचन किया गया। साहिबजादा शौकत अली खां ने कहा कि अरबी फारसी उर्दू और इतिहास अवार्डस सम्मान दिये गये उक्त विद्वानों को सराहा और संस्थान की गतिविधियों पर विचार व्यक्त किये। इसी के साथ संस्थान में डिजिटाइजेशन का कार्य हो रहा है उस पर प्रकाश डाला। प्राचीन हस्त लिखित ग्रन्थों का प्रिजर्वेशन व कन्ज़र्वेशन करके उनको 400 साला जीवन प्रदान किया। यहां रामायण, महाभारत, गीता, नलदमन पोथी रोहिणी का नायाब जखीरा संस्थान में संधारित है। इसके लिए मैं संस्थान के निदेशक का शुक्रिया अदा करता हूं। समारोह के मुख्य अतिथि श्री भगवान सहाय शर्मा ने कहा कि टोंक गंगा जमनी तहज़ीब का शहर है। इस शहर की जनता ग़रीब होने के साथ साथ इनमें आपस में कोई भेद भाव नहीं है और यहां के विकास के लिए कालेज, इण्डसट्रीज आदि खुलना चाहिए जिससे यहां लोगों को रोज़गार एंव शिक्षा मिल सके। इसके अतिरिक्त इस संस्थान की अरबी फारसी टीचिंग क्लासों के लिए ज़ोर दिया तथा इस संस्थान में कल्चर प्रोग्राम ज्यादा से ज्यादा किये जाये जिससे कलाकारों को प्रोत्साहन मिले। संस्थान के निदेशक व कर्मचारियों का शुक्रिया अदा किया। समारोह के अध्यक्ष मोहतरम शरीफ़ हुसैन क़ासमी ने कहा कि यह संस्थान दिनों दिन तरक्की करता जा रहा है। श्री क़ासमी ने यह भी कहा कि संस्थान की उन्नति के लिए राज्य सरकार को बहुत कुछ करना है। जिससे संस्थान विश्व में एक अपना मक़ाम हासिल कर सके। डॉ0 सौलत अली खां ने कहा कि इन्सानियत की खिदमत करना है तो सभी धर्मो की इज्जत करनी चाहिए यही इन्सानियत पैगाम देती है।
टोंक। 2 अक्टूबर , 2019 मौलाना अबुल कलाम आजाद अरबी फारसी शोध संस्थान, राजस्थान, टोंक में महात्मा गांधी की 150वीं जयंति के उपलक्ष में दिनांक 02 अक्टूबर, 2019 को गांधी विचार गोष्ठी एंव प्रदर्शनी का आयोजन किया गया। प्रदर्शनी का उद्घाटन श्री मुजीब अता आजाद ने किया। इस प्रदर्शनी में महात्मा गांधी से संबंधित रिफ्रेन्स लाइब्रेरी की पुस्तकों एंव गांधी आंदोलन की फोटो लगाई गई। इस समारोह के मुख्य अतिथि गांधी 150 जन्म उत्सव समिति (वर्धा गांधी आश्रम) के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री मुजीब अता आजाद और अध्यक्षता संस्थापक निदेशक साहिबजादा शौकत अली खान ने की।
समारोह का प्रारम्भ तिलावते क़ुरआने पाक मुफ्ती इस्लाहुद्दीन खिजर नदवी द्वारा तथा नाअत शरीफ श्री मोहम्मद आबिद अली खां ने पढी। समारोह के आरम्भ में श्री जमील अहमद ने अपनी तकरीर में गांधी जी द्वारा दिये गये इंसानियत एंव अखलाक के संदेश पर विस्तार से प्रकाश डाला। श्री मोहम्मद हुसैन कायमखानी ने अपनी तकरीर में गांधी जी के अहिंसा सिद्धान्त एंव विदेशी कपड़ों को छोड़ खादी के कपड़ों को अपनाने पर बल डाला। संस्थान के निदेशक डॉ0 सौलत अली खान ने अपनी तकरीर में आपसी प्रेम एंव भाईचारे पर बल दिया तथा कहा कि भारत विश्व शक्ति गांधी जी के अहिंसा के सिद्धान्त से बन सकता है। समारोह के मुख्य अतिथि श्री मुजीब अता आजाद ने कहा कि गांधी जी भारत के राष्ट्रपिता थे उनकी विचारधारा पूरे विश्व में प्रासंगिक है। इस का कारण यह है कि संयुक्त राष्ट्र संघ के 116 देश गांधी जी की 150वीं जयंति मना रहे है। अपने उद्बोधन में दांडी यात्रा एंव नमक आंदोलन के बारे में विस्तार से उल्लेख किया। समारोह के अध्यक्ष साहिबजादा शौकत अली खान ने कहा कि गांधी जैसा इन्सान सदियों में पैदा होता है जिसने हमें एकता के धागे में पिरोया। अजीम प्रेममजी फाउण्डेशन स्कूल, टोंक, ऐक्सिलेन्ट पब्लिक स्कूल, छावनी, टोंक, अन्य विद्यालयों के 200 विद्यार्थियों तथा आमजन ने भी प्रदर्शनी को बड़ी उत्सुकता से देखा तथा सराहा।
अंत में संस्थान के निदेशक डॉ0 सौलत अली खां ने सभी मेहमानों एंव दर्शकों का शुक्रिया अदा किया तथा दिनांक 03.10.2019 को गांधी जी के नाम से कैलीग्राफी प्रतियोगिता तथा दिनांक 04.10.2019 को सफाई अभियान का आयोजन किया जायेगा।
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टोंक। 26 फरवरी, 2019 मौलाना अबुल कलाम आजाद अरबी फारसी शोध संस्थान, राजस्थान, टोंक में तीन दिवसीय अखिल भारतीय सेमिनार का उद्घाटन समारोह के मुख्य अतिथि मोहतरम प्रोफेसर मुहम्मद मुस्तफा शरीफ पूर्व डीन, फैकल्टी ऑफ आर्टस, उस्मानिया यूनिवर्सिटी व पूर्व निदेशक दाएरतुल मआरिफ, हैदराबाद (तेलंगाना) तथा अध्यक्षता मोहतरम सैय्यद गयासुद्दीन चिश्ती, अजमेर शरीफ, अजमेर ने की । सेमिनार का विषय ’’हज़रत महमूदुल-हसन सौलत टोंकी (शख़्सियत और शायरी)‘‘ है। इस सेमीनार में विभिन्न राज्यों के लगभग 50 स्कालर्स अपने शौध पत्र प्रस्तुत करेंगे। समारोह का प्रारम्भ तिलावते क़ुरआने पाक मुफ्ती इस्लाहुद्दीन खिजर एवं शाद टोंकी ने हजरत सौलत टोंकी की गजल पढकर किया। संस्थान के निदेशक श्री डॉ0 सौलत अली खान ने मंचासीन अतिथियों का माल्यापर्ण, दस्तारबन्दी, शाल व कैलीग्राफी पैनल भेंट कर सम्मानित किया। श्री सौलत अली खांन ने फारसी अश्आर से मेहमानों का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि जनाब सैय्यद महमुदुल हसन की दुआ का समरा ’’कसरे इल्म’’ है वह एक सुफी व सालिक थे। अंत में जनाब महमुदुल हसन सौलत के संकलित शेर पढे। मुहम्मद उमर खान नदवी एंव श्री मुहम्मद आबिद अली खान आक़िल ने आगन्तुको के सम्मान में नज्म प्रस्तुत की। संस्थान द्वारा उत्कृष्ट कार्य करने पर चार विद्वानो को सम्मानित किया गया। इतिहास विषय में प्रोफेसर रामेश्वर लाल शर्मा, उर्दू भाषा में श्री अहमद अली साहिब, हैदराबाद, फारसी भाषा में मोहतरमा फरजाना हबीब, टोंक तथा अरबी भाषा में मौलाना मुहम्मद उमर खान नदवी की गुलपोशी, दस्तारबन्दी, उपाधि, शाल, मोमेन्टों व उनके नाम का तुगरा एंव 10000/- राशि मंचासीन अतिथियों द्वारा प्रदान कर सम्मानित किया गया। संस्थान की प्रकाशित पुस्तक रिसर्च जरनल भाग-3 (सौलत नम्बर) द्वितीय संस्करण का विमोचन किया गया। साथ में इब्राहिम अली खान के पोते साहिबजादा मुइज्जुद्दीन वकार टोंकी का मजमूआ-ए-कलाम ’’वकारे जिन्दगी’’ डॉ0 तसनीम खानम द्वारा संकलन पुस्तक का भी विमोचन किया गया एंव उनकी शख्सियत व शायरी पर डॉ0 तसनीम खानम ने मुख्तसर प्रकाश डाला। साहिबजादा शौकत अली खां ने कहा कि संस्थान में अकबर, औरंगजेब द्वारा अनुवाद कराये गये फारसी ग्रन्थ मौजूद है व नादिर व नायाब है। संस्कृत की कई किताबों का फारसी में अनुवाद हुआ है वो सब यहां मौजूद है। इस संस्थान को सभी धर्मो के लोगो ने मिलकर बनाया है। यहां रामायण, महाभारत, गीता, नलदमन पोथी रोहिणी का नायाब जखीरा संस्थान में संधारित है। यह सेमिनार इतनी बड़ी हस्ती पर हो रहा है इसके लिए मैं संस्थान के निदेशक का शुक्रिया अदा करता हूं। मोहतरमा प्रोफेसर लक्ष्मी अय्यर, डीन ऑफ आर्टस सेण्ट्रल यूनिवर्सिटी, किशनगढ़, अजमेर ने संस्थान के गतिविविधयों की भूरीभूरी प्रशंसा की। समारोह के मुख्य अतिथि प्रोफेसर मुहम्मद मुस्तफा शरीफ साहब ने कहा कि मैने जिस नुस्खे पर पीएचडी की है उसका पूरी दुनिया में एक ही नुस्खा है वह इस संस्थान में है। मैं ऐसी जगह का व्यक्ति हूं जिसके निजाम ने भारत के विकास के लिए 5000 टन सोना दिया था। देश प्रेम हैदराबाद में बहुत अधिक है वैसा ही देश प्रेम टोंक में पाया जाता है। इस कारण ’’हैदराबाद ही टोंक है और टोंक ही हैदराबाद’’ है। पूरी दुनिया में टोंक का नाम रोशन है। आगे उन्होंने कहा कि इल्म की कोई सीमा नहीं है। कुरआन में महिलाओं को भी इल्म हासिल करने का बराबरी का हक है कि वह इल्म हासिल करें। संस्थान के निदेशक व कर्मचारियों का शुक्रिया अदा किया। समारोह के अध्यक्ष मोहतरम सैय्यद गयासुद्दीन चिश्ती ने कहा कि बुजुर्ग की सौहबत से ज्ञान सीख कर हम हर धर्म के लोगों की खिदमत कर सकते है और इल्म इन्हीं बुजुर्गो की सौहबत से मिलता है। डॉ0 सौलत अली खां ने कहा कि इन्सानियत की खिदमत करना है तो सभी धर्मो की इज्जत करनी चाहिए यही इन्सानियत पैगाम देती है। सूफी संत हजरत सौलत टोंकी ऐसी ही सूफी थे जिन्होंने सभी धर्मो की इज्जत के साथ-साथ इन्सानियत का पैगाम दिया।
अंत में सलाहुद्दीन कमर ने सभी मेहमानों एंव विद्वानों का शुक्रिया अदा किया।
एपीआरआई, कैलीग्राफी आर्ट फेस्टिवल में चारबैत का आयोजन
टोंक मौलाना अबुल कलाम आजा़द अरबी फ़ारसी शोध संस्थान, टोंक में पांच दिवसीय अखिल भारतीय कैलीग्राफी आर्ट फेस्टिवल, प्रदर्शनी, वर्कशाप के मौके पर चारबैत का आयोजन किया गया। इस समारोह के मुख्य अतिथि ज़नाब मौलवी मुहम्मद सईद साहिब खतीब ज़ामा मस्जिद, काफला टोंक एवं अध्यक्षता कैलीग्राफिस्ट मेहमूद अहमद मुम्बई ने की। समारोह के मुख्य अतिथि ने चारबैत के उस्तादों को उनके फ़न पर मुबारकबाद दी एवं अध्यक्ष मेहमूद अहमद ने अपने अध्यक्षीय भाषण में चारबैत को हमारी राष्ट्रीय धरोहर बताया तथा यह सुझाव दिया कि संस्थान में इस प्रकार के आयोजन बार-बार होने चाहिए ताकि हमारी लोक कलाएं जीवित रह सके। संस्थान के निदेशक साहिबज़ादा डॉ0 सौलत अली खान ने चारबैत आर्टिस्टों की गुलपोशी एवं मोमेन्टों देकर स्वागत किया। इस अवसर पर डॉ0 सौलत अली खान ने कहा कि चारबैत हमारी पुरानी कला है जो सिर्फ चार शहरो जिनमें रामपुर (यू0पी0), टोंक (राज0), भौपाल (म0प्र0), हैदराबाद (तेलंगाना) प्रमुख है। राजस्थान सरकार का हम सभी को धन्यवाद देना चाहिए जो इन लुप्त होती दुर्लभ कलाओं पर ध्यान दिया है। सय्यद फैस़ल सईदी ने कलाकारो को प्रोत्साहन राशि वितरित की। चारबैत कार्यक्रम में तीन पार्टियों ने प्रमुख रूप से भाग लिया। प्रारम्भ में शाने चमन पार्टी, शाने हिन्द पार्टी तथा अन्त में सितारे हिन्द पार्टी ने प्रदर्शन किया। कार्यक्रम में उस्ताद बिस्मिल साहिब, शरर तथा अन्य उस्ताद शायरों का कलाम पेश किया। कार्यक्रम कड़ाके की ठण्ड के बाद भी रात्रि 2.00 बजे तक चलता रहा। समारोह का संचालन सलाहुद्दीन कमर ने किया। कार्यक्रम में लोगों द्वारा निम्न चारबैते बहुत पसन्द की गई जो निम्न है।
1. हर तरफ तीरे नजर का मै निशाना हो गया,
मुझको शोहरत क्या मिली दुश्मन जमाना हो गया।
2. कल तेरी बज़म से दिवाना चला जाएगा,
श़मां रह जायेगी परवाना चला जाएगा।
3. बेनियाजें अव्वलों आखिर खुदा तू ही तो है।
एपीआरआई, टोंक में पांच दिवसीय अखिल भारतीय कैलीग्राफी आर्ट फेस्टिवल, प्रदर्शनी
मौलाना अबुल कलाम आज़ाद अरब़ी फ़ारसी शोध, संस्थान, टोंक द्वारा आयोजित पांच दिवसीय अखिल भारतीय कैलीग्राफी आर्ट फेस्टिवल और वर्कषाप जारी है। जिसमें भारत के विभिन्न प्रान्तों जम्मू कष्मीर, महाराष्ट्र, उड़ीसा, बिहार, देहली एवं राजस्थान के विभिन्न जिलों के टोंक एवं कैलीग्राफिस्टों का कैलीग्राफी आर्टिफेक्ट बनाने का काम आज भी जारी रहा। इस आर्ट फेस्टिवल के पांच रोज में आर्ट फेस्टिवल में शरीक सभी कैलीग्राफिस्टों को कैनवास व हेण्डमेड पेपर पर दो नमूने तैयार करना है। नमूने बनाने का कार्य कैलीग्राफिस्टों द्वारा किया जा रहा है। विभिन्न राजकीय स्कूलों और कॉलेज के ड्राइंग व पेन्टिग और उर्दू विभाग के विद्यार्थी कैलीग्राफ़ी वर्कषॉप में आकर कैलीग्राफ़ी कला को हेण्डमेड और केनवास पर कैलीग्राफी कला को उकरते हुए देख रहे है और अपनी जिज्ञासा व रूचि भी प्रकट कर रहे है। और कैलीग्राफी कला को सीखने की चाहत भी रखते है।
एपीआरआई, टोंक में पांच दिवसीय अखिल भारतीय कैलीग्राफी आर्ट फेस्टिवल, प्रदर्शनी एंव वर्कशाप का समापन
दिनांक-01.02.2019 मौलाना अबुल कलाम आजाद अरबी फारसी शोध संस्थान, टोंक में आयोजित पांच दिवसीय अखिल भारतीय कैलीग्राफी आर्ट फेस्टिवल, प्रदर्शनी एंव वर्कशाप का समापन समारोह का आयोजन किया गया। समारोह की मुख्य अतिथि श्रीमति मीनाक्षी चन्द्रावत, पूर्व विधायक, खानपुर, झालावाड़, अध्यक्षता साहिबजादा शौकत अली खान, संस्थापक निदेशक एपीआरआई, टोंक तथा विशिष्ट अतिथि प्रोफेसर जियाउद्दीन शम्सी तेहरानी ने की। कार्यक्रम का प्रारम्भ तिलावते कुरआन से श्री इस्लाउद्दीन खिजर ने किया तथा इस्तकबालिया नज्म श्री मोहम्मद आबिद अली खां आकिल ने पढी। संस्थान के निदेशक डॉ0 सौलत अली खान ने मुख्य अतिथि, अध्यक्ष तथा विशिष्ट अतिथि का माल्यापर्ण एंव शाल ओढाकर स्वागत किया तथा मुख्य अतिथि को उनके नाम का हिन्दी कैलीग्राफी तुगरा भेंट किया। मुख्य अतिथि व अध्यक्ष ने सभी मेहमानों को मोमेन्टों व प्रमाण पत्र भेंट किये। निदेशक ने सभी कैलीग्राफिस्टों श्री महूमूद अहमद शेख, मुम्बई, श्री मोहम्मद जुबेर, देहली, श्री मोहम्मद जिया हैदर, चकिया, बिहार, श्री अब्दुर रहमान, देहली, श्री मोहम्मद इकराम्मुलाह, देहली, श्री गुलाम अहमद, टोंक, श्री खुर्शीद ऑलम, टोंक, श्री रियाजुल हसन, टोंक, श्री मुतीउल्लाह, टोंक श्री जमील अहमद, टोंक, श्री जफर रजा खान, टोंक श्री मुरलीधर अरोड़ा, टोंक, श्री अब्दुस सलाम कौसरी, कश्मीर, श्री हरिशंकर बालोठिया, जयपुर, श्री सलाहुद्दीन कमर, टोंक, श्री अब्दुल रशीद, नाथद्वारा तथा श्री अब्दुस सलाम, उड़ीसा का एंव सभी पधारे मेहमानों का स्वागत किया। अपने स्वागत भाषण में निदेशक ने कहा कि सात खतों से कैलीग्राफी पैदा हुई है तथा कैलीग्राफी के खतों पर प्रकाश डाला। कैलीग्राफी कौमी यकजैहती का सन्देश देती है, उन्होंने बताया कि हमारे प्राचीन ग्रन्थों में कैलीग्राफी आर्ट बहुत देखने को मिलती है। श्रीमति चन्द्रावत स्वंय कला एंव जमीन से जुड़ी है। अध्यक्ष साहिबजादा शौकत अली खान ने एक मुकफ्फा व मुसज्जा शानदार मकाला खत और खत्ताती की तारीख व ताअरीफ में पढा। विशिष्ट अतिथि प्रो0 शम्सी तेहरानी ने खत्ताती के कमालात पर नज्म के अन्दाज में भरपूर रोशनी डाली। मुख्य अतिथि श्रीमति मीनाक्षी चन्द्रावत ने कहा कि यहां आकर बहुत खुशी हुई। यह संस्थान सम्प्रदायिक सौहार्द की मिसाल है। संस्थान में सभी धर्मो के ग्रन्थों का बहुत अच्छा संग्रह है। यहा सभी धर्मो के आर्टिस्टों को प्रदर्शन करते हुए देखकर मुझे बहुत खुशी हुई। मैं संस्थान के विकास में भागीदार बनू, यह मेरा सौभाग्य होगा। श्री मआज सईदी ने खत व खत्ताती पर अंग्रेजी में शानदार मकाला पढा। श्री बालोठियों ने कहा कि संस्थान में मुझे प्यार और स्नेह मिला है। देहली से आये श्री जुबेर अहमद ने खिदमत व मेहमाननवाजी के बारे में कहा कि यह नवाबों का शहर है लेकिन ऐसा लग रहा था कि हम नवाब है।
टोंक- दिनांक 28.01.2019 मौलाना अबुल कलाम आजाद अरबी फारसी शोध संस्थान में पांच दिवसीय द्वितीय अखिल भारतीय कैलीग्राफी आर्ट फेस्टिवल, प्रदर्शनी एंव वर्कशाप के उद्घाटन समारोह का आयोजन किया गया। समारोह दिनांक 28.01.2019 से 010.02.2019 तक चलेगा जिसका उद्घाटन समारोह की मुख्य अतिथि श्रीमति श्रेया गुहा, प्रमुख शासन सचिव, कला, साहित्य, संस्कृति एंव पुरातत्व विभाग द्वारा किया गया। इस समारोह का प्रारम्भ श्री इसलाहुद्दीन खिजर द्वारा तिलावते कलामुल्ला से किया गया। श्री मोहम्मद आबिद अली खां (आबिद आकिल) ने नआते पाक पढी एंव मेहमानों का नज्म से स्वागत किया। समारोह की अध्यक्षता श्री सैय्यद सऊद सईदी, प्रदेश सह संयोजक, जन अभाव अभियोग प्रकोष्ठ, राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी तथा विशिष्ट अतिथि साहिबजादा शौकत अली खान, संस्थापक निदेशक एपीआरआई ने की। संस्थान के निदेशक डॉ0 सौलत अली खान ने समारोह में पधारे सभी मेहमानों की गुलपोशी एंव पधारे कैलीग्राफिस्टों का स्वागत किया एंव कैलीग्राफी कला, इतिहास एंव इसकी विशेषताओं पर प्रकाश डाला। मुख्य अतिथि श्रीमति श्रेया गुहा ने अपने उदबोधन में कहा कि मेरी प्रारम्भ से यह इच्छा थी कि मैं संस्थान को एक बार आकर देखू। मैं संस्थान में हो रहे गतिविधियों एंव हस्तलिखित ग्रन्थों को देखकर बहुत प्रभावित हुई। मेरा यह प्रयास रहेगा कि संस्थान ज्यादा से ज्यादा तरक्की करे। समारोह के अध्यक्ष श्री सैय्यद सऊद सईदी ने अपने भाषण में कहा कि यह विश्व विख्यात संस्थान है। इसका बजट बढना चाहिए व कर्मचारियों की भर्ती होनी चाहिए ताकि यह संस्थान आगे बढ सके। मेरा यह प्रयास रहेगा कि मैं श्री सचिन पायलट, माननीय उपमुख्यमंत्री से मिलकर इनको अवगत कराउ एंव इसके विकास में भागीदार बन संकू। इस कार्यक्रम में खत्ताती, शायरी, चारबैत, कव्वाली अवार्डस सम्मान 2018-19 हजरत खलीक टोंकी खत्ताती कला अवार्ड श्री कारी सलीमुल्लाह वासिफ फुर्कानी टोंकी को, नवाब मोहम्मद इस्माईल ’’ताज’’ शायरी कला अवार्ड श्री साहिबजादा सफ़दर अली खान सफदर टोंकी को, उस्ताद अब्दुल मुसव्विर खान चारबैत कला अवार्ड श्री अब्दुल हनीफ उर्फ कल्लू अन्सारी को तथा उस्ताद भुन्दू खान कव्वाली कला अवार्ड श्री फय्याज हसन रागी को प्रदान किया गया। कैलीग्राफी आर्ट को प्रोत्साहन देने के लिए मोमेन्टों पर कैलीग्राफी आर्ट की गई एंव मेहमानों व विद्वानों को मोमेन्टों दिये गये तथा सांस्कृतिक आदान-प्रदान के लिए कैलीग्राफी एंव कश्मीरी हण्डीक्राफट को बढावा देने के लिए कश्मीरियों द्वारा प्रदर्शनी लगाई गई। संस्थान द्वारा प्रकाशित एंव निदेशक डॉ0 सौलत अली खान द्वारा सम्पादित पुस्तके इस्लामी हिन्द में फन्ने खत्ताती (द्वितीय संस्करण) तथा लमआते तख्य्युलात (तकरीबाते कसरे इल्म) श्री मोहम्मद आबिद अली खान ’’आकिल’’ द्वारा लिखित का विमोचन किया गया। साहिबजादा शौकत अली खान ने अपने भाषण में संस्थान दिन रात प्रगति की ओर अग्रसर है। समारोह में भारत के विभिन्न प्रान्तों से पधारे आर्टिस्ट में श्री महमूद अहमद शेख, मुम्बई, श्री सलाम कोसरी, जम्मू कश्मीर, श्री हरीशंकर बालोठिया, जयपुर, श्री कासिम, श्री जुबेर, श्री इकरामुल्लाह, श्री अब्दुल रहमान, श्री अब्दुल सलाम, दिल्ली, श्री मोहम्मद हैदर, चकिया, बिहार, श्री खुर्शीद ऑलम, श्री जफर रजा, श्री मुरलीधर अरोड़ा, श्री रियाजुल हसन तथा श्री गुलाम अहमद प्रमुख है। डाँ0 सौलत अली खान निदेशक ने संस्थान में चल रहे पांच दिवसीय फेस्टिवल एंव संस्थान की गतिविधियों से अवगत कराया तथा समारोह में पधारे श्रीमति श्रेया गुहा, श्री सैय्यद सऊद सईदी एंव कैलीग्राफिस्ट आर्टिस्ट/मेहमानो का शुक्रिया अदा किया। समारोह का संचालन श्री सलाहुद्दीन कमर ने किया।
एपीआरआई में हिन्दी दिवस पर संगोष्ठी का आयोजन
14 सितम्बर, 2018
मौलाना अबुल कलाम आजाद अरबी फारसी शोध संस्थान, टोंक, राजस्थान में हिन्दी दिवस समारोह का आयोजन किया गया। इस समारोह में हिन्दी भाषा की महत्वता और उसके प्रचार प्रसार पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी के मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए डॉ सौलत अली खां ने कहा कि जो भाषा दूसरी भाषा के शब्दो को ग्रहण करती है वही भाषा विकास करती है। हिन्दी की यही विशेषता है। निदेशक ने कहा कि हिन्दी व उर्दू का रिश्ता सगी बहनो जैसा है यदि हिन्दुस्तान का विकास करना है तो हिन्दी बोलने अति आवश्यक है। हिन्दी का विकास सही रूप में तभी हो सकेगा जब उच्च स्तर पर इसमें सुधार किया जाये। संस्थान के निदेशक डॉ0 सौलत अली खां ने हिन्दी भाषा को रोज़मर्रा की जिन्दगी में लाने तथा सरकारी कामकाज में हिन्दी के अधिकाधिक प्रयोग पर बल दिया और कहा कि हिन्दी, हिन्दुस्तान की आत्मा है जो सभी को एक सूत्र में जोड़ती है। इसके अलावा श्री सलाहुद्दीन कमर ने कहा कि हिन्दी पढो, लिखो और बोलो। श्री जमील अहमद ने कहा कि वतन की हर चीज से मुहब्बत इमान का एक हिस्सा है। श्री ओमप्रकाश सारण ने कहा कि हिन्दी राष्ट्र भाषा है तथा हिन्दी भाषा संस्कृति का अभिन्न अंग है। डॉ0 बदर अहमद ने कहा कि हिन्दी विश्व में सबसे अधिक संख्या में बोले जानी वाली भाषा है। भारत के अलावा हिन्दी भाषा फीजी, सूनीनाम, दक्षिण अफ्रिका, मारीशस, नेपाल, पाकिस्तान, बांग्लादेश, भूटान आदि देशो में बहुतायत से बोली जाती है। श्री आबिद आकिल ने भी अपने विचार व्यक्त किये। संगोष्ठी का संचालन श्री सलाहुद्दीन कमर ने किया। इस अवसर पर संस्थान के कर्मचारी, ग्राफिक डिजाइन व कम्प्युटर कक्षा के कर्मचारी उपस्थित थे।
टोंक, 30 जुलाई, 2018 मौलाना अबुल कलाम आजाद अरबी फारसी शोध संस्थान, टोंक, राजस्थान के निदेशक डॉ0 सौलत अली खान ने अपने स्वागत भाषण में कहा कि प्राचीन अमूल्य हस्तलिखित ग्रन्थों की सुरक्षा एंव उन पर होने वाले हानिकारक प्रभावों को कैसे रोका जाये जिससे जो नुकसान होने वाला है उसको रोका जा सकेगा । अमूल्य हस्तलिखित ग्रन्थों को कैसे सुरक्षित किया जाय यह हमारी कोशिश होगी। हमारे भारतीय प्राचीन ग्रन्थ जो प्राचीन पद्धति पर आज भी चल रहे है इस वर्कशाप द्वारा आधुनिक पद्धति से इन ग्रन्थों की सुरक्षा भविष्य में की जायेगी एंव इसके विद्वान समाप्त हो रहे है प्रशिक्षण देकर एक नई टीम तैयार की जायेगी जो हमारे धरोहर की रक्षा करेगी। यह वर्कशाप दिनांक 30 जुलाई से 16 अगस्त तक चलेगी। इस वर्कशाप का आरम्भ तिलावते कलामुल्लाह से श्री इस्लाहुद्दीन खिजर द्वारा किया गया। नआत शरीफ जनाब आबिद आकिल ने पढी। निदेशक डॉ0 सौलत अली खान ने जिला कलेक्टर श्री आर0सी0 ढेनवाल, भूप्रबन्ध अधिकारी एंव आर0ए0ए0 श्री जयनारायण मीणा तथा हैदराबाद से पधारे प्डच्।ब्ज् के अध्यक्ष श्री अहमद अली साहिब, जनाब मौलावी सईद साहिब तथा संस्थापक निदेशक साहिबजादा शौकत अली खान साहिब को माला एंव शोल ओढाकर स्वागत किया गया। जिला कलेक्टर एंव भूप्रबन्ध अधिकारी के नाम का तुगरा भेंट किया। जनाब मोहम्मद उमर खान नदवी एंव जनाब आबिद आकिल ने स्वागत के रूप में नज्म पढी। डॉ0 रऊफ साहब ने संस्थान की महत्वता पर प्रकाश डाला। संस्थापक निदेशक साहिबजादा शौकत अली खान ने संस्थान का इतिहास बताया। श्री अहमद अली साहब ने पाण्डुलिपियां हमारी धरोहर है को बचाना जरूरी है। मुख्य अतिथि श्री आर0सी0 ढेनवाल ने कहा कि संस्थान में आकर मुझे बहुत खुशी हुई तथा संस्थान को देश का गौरव बताया। विदेशी स्कॉलर आते है यह विचित्र संस्थान है। मुख्य अतिथि ने कहा कि प्रशासन संस्थान के हर प्रकार के सहयोग के लिए तत्पर है। अध्यक्षीय भाषण में श्री जयनारायण मीणा ने कहा कि यह मेरा सौभाग्य रहा है कि मैं इस संस्थान का निदेशक रहा हूं इस पर मुझे फख्र है। यहां पर चुनोतियां बहुत है। पाण्डुलिपियों को संरक्षण देना अति आवश्यक है तथा पाण्डुलिपियों को संस्थान में अनुदान स्वरूप भेंट हेतु प्रोत्साहित किया। अंत में निदेशक डॉ0 सौलत अली खान ने सभी मेहमानों का शुक्रिया अदा किया एंव स्कालर्स एंव ट्रेनिंग लेने वालो को लगन से इस कार्य को सीखने एंव राष्ट्र की धरोहर को बचाने की नसीयत दी।
एपीआरआई, टोंक में तीन दिवसीय अखिल भारतीय सांस्कृतिक कार्यक्रम का उद्घाटन समारोह
टोंक। 25 जून, 2018 मौलाना अबुल कलाम आजाद अरबी फारसी शोध संस्थान, राजस्थान, टोंक में तीन दिवसीय अखिल भारतीय सांस्कृतिक कार्यक्रम का उद्घाटन मुख्य अतिथि श्री अजीत सिंह मेहता साहिब, माननीय विधायक, टोंक ने किया तथा समारोह की अध्यक्षता श्रीमति मधु शर्मा साहिबा, संस्थापक पं0 दीनदयाल उपाध्याय स्मृति मंच, नई दिल्ली ने की। समारोह के मुख्य अतिथि तथा अध्यक्ष ने संस्थान का अवलोकन किया। समारोह का प्रारम्भ तिलावते क़ुरान पाक एवं नात शरीफ़ से किया गया। संस्थान के निदेशक श्री डॉ0 सौलत अली खान ने फूल मालाऐं पहनाकर अतिथियों तथा बाहर से पधारे सभी मेहमानों का स्वागत किया।.
हजरत सौलत की याद में कला, साहित्य, संस्कृति एंव पुरातत्व विभाग के सौजन्य से अखिल भारतीय मुशायरा आयोजित किया गया। इस मुशायरे में मुख्य अतिथि मोहतरमा डॉ0 ज्योति किरण राजस्थान राज्य वित्त आयोग की चेयर पर्सन, अध्यक्षता भारत के प्रसिद्ध शायर श्री आनंद मोहन जुत्शी गुलजार देहलवी, विशिष्ट अतिथि श्री सोहेल राजा, उप पुलिस अधीक्षक जयपुर तथा श्रीमति विशाला शर्मा, मेम्बर, इण्डो यूरोपीयन चैम्बर्स, नई दिल्ली रहे।
TheWorld's biggest Quran Sharif
Exhibited on 22-01-2014 in
APRI, Tonk
According to the recent information fromsome reliable sources and as the galaxy of the dignitaries pointed out that the known biggest Qurans of the world are as follows:-
Afghanistan- Size- Length- 7 feet,Width- 5 feet
RussianRepublicTatarstan- Size 1.5Meters by 2Meters
Russia- Size- 150 x 200 cm
The world biggest Quran Sharif entered in the Guinness book.Russia has been awarded a Guinness WorldRecord certificate for being theworld biggestQuran Sharif.
The Rajasthan Maulana Abul Kalam Azad Arabic Persian Research Institute, Tonk, India feels pride to exhibit the world's biggest hand writtenQuran Sharif.